मलाल तेरी क़सम आज कुछ ज़ियादा है तुझे गँवाने का ग़म आज कुछ ज़ियादा है तुझे मैं खो भी चुका फिर भी तुझ को पाने की आस ये कल तलक तो थी कम आज कुछ ज़ियादा है मिरी तो रोज़ की आदत है पर मुझे दुख है कि तेरी आँख भी नम आज कुछ ज़ियादा है कुछ आज कल से सिवा-तर है शब की तारीकी फिर उस की ज़ुल्फ़ भी ख़म आज कुछ ज़ियादा है मैं दुश्मनों के भी हक़ में दुआएँ करने लगा कि दोस्तों का करम आज कुछ ज़ियादा है