मल्बूस-ए-ग़ुबार याद रखना ये राहगुज़ार याद रखना इक शाम-ए-ख़िज़ाँ यहीं कहीं है ऐ सुब्ह-ए-बहार याद रखना हम कश्ती-ए-इश्क़ के मुसाफ़िर उतरे नहीं पार याद रखना ऐ ज़ख़्मा-वरान-ए-बरबत-ए-दिल टूटे हुए तार याद रखना पतझड़ की हवाएँ चीख़ती हैं क्या सौत-ए-हज़ार याद रखना हम जाते हैं बार-ए-ग़म उठाए ऐ शहर-ए-निगार याद रखना इबरत का मक़ाम है ये दुनिया वीरान दयार याद रखना ऐ वादी-ए-गुल को जाने वाले रस्तों के ये ख़ार याद रखना मिलती है ग़मों से भी बसीरत ज़ख़्मों का शुमार याद रखना बचपन के मकाँ का नख़्ल-ए-हमराज़ ये हार सिंघार याद रखना ये हर्फ़ है रौशनी-ए-फ़र्दा हर्फ़ सर-ए-दार याद रखना शायद मैं ये ख़्वाब भूल जाऊँ तुम ऐ मिरे यार याद रखना