माल-ए-दुनिया तलाश करना है या'नी रुत्बा तलाश करना है आज इंसाँ को तपते सहरा में बहता दरिया तलाश करना है तो कुँवारी है कब से ऐ दुनिया तेरा रिश्ता तलाश करना है अब चराग़ों की लौ नहीं मंज़ूर यद-ए-बैज़ा तलाश करना है दुश्मनी प्यार से भी कुछ अच्छा दरमियाना तलाश करना है कर चुके सैर हम समुंदर की अब किनारा तलाश करना है मुझ को फिर से किताब-ए-माज़ी में तेरा चेहरा तलाश करना है 'अब्र' दुनिया को छोड़ जाने का इक बहाना तलाश करना है