माली को साज़िशों पे यूँ उकसा दिया गया कलियाँ बनें न फूल ये समझा दिया गया सच बोलने की जिस ने जसारत की दोस्तो फाँसी पे एक दिन उसे लटका दिया गया मंज़िल मिरे नसीब में लिख दी गई मगर पुर-पेच रास्ता मुझे दिखला दिया गया ख़ुद को समझ रहे हैं वही लोग होशियार जिन को ख़िरद की राह से भटका दिया गया फिर मय-कदे में टूट गई तौबा शैख़ की जब मुफ़्त में शराब का प्याला दिया गया बापू ने जो दिया था सबक़ याद है हमें फिर ज़हर क्यों समाज में फैला दिया गया महँगाई 'फ़ैज़' छूने लगी है अब आसमान दिल्ली के तख़्त पर किसे बैठा दिया गया