मानी ने जो देखा तिरी तस्वीर का नक़्शा सब भूल गया अपनी वो तहरीर का नक़्शा उस अबरू-ए-ख़मदार की सूरत से अयाँ है ख़ंजर की शबाहत दम-ए-शमशीर का नक़्शा क्या गर्दिश-ए-अय्याम है ऐ आह-ए-जिगर-सोज़ उल्टा नज़र आया तिरी तासीर का नक़्शा दिन रात तिरे कूचे में रोवे है हमेशा आशिक़ के ये है मंसब ओ जागीर का नक़्शा तदबीर तो कुछ बन नहीं आती है 'नज़ीर' आह अब देखिए क्या होता है तक़दीर का नक़्शा