मानिंद-ए-हवा पल में गुज़र जाएगा कोई आए न अगर आप तो मर जाएगा कोई ये रात का सन्नाटा उदासी का ये आलम इस हाल में दीवाने से डर जाएगा कोई नाकाम-ए-तमन्ना को यूँही जलने दो वर्ना छेड़ोगे जो तुम राख बिखर जाएगा कोई पहली ही मुलाक़ात बढ़ा देगी मोहब्बत मालूम न था दिल में उतर जाएगा कोई ज़िंदा हूँ इसी आस पे 'ग़मगीन' मैं अब तक इक रोज़ मिरे ज़ख़्म को भर जाएगा कोई