मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से By Ghazal << क्या ख़रीदोगे चार आने में ज़ख़्म को फूल कहें नौहे क... >> मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से वो जिस्म जब निकल गया रेशम के थान से तुम में से कौन कौन मुझे ये बताएगा उतरा है कौन मेरे लिए आसमान से तुझ आँख से झलकता था एहसास-ए-ज़िंदगी मैं देखता रहा हूँ तुझे ख़ाक-दान से Share on: