मरना तक़दीर है ज़ंजीर बजा लो पहले कुछ हो सय्याद से आँखें तो मिला लो पहले अब्र तुम खुल के बरसना सर-ए-गुलज़ार-ए-हयात दुश्मन-ए-गुल पे ज़रा बर्क़ गिरा लो पहले दार की सम्त रवाँ हो मगर ऐ दीवानो इक जहाँ दाद-गर अपना तो बना लो पहले इश्क़ का ज़हर जो घुल जाए तो पी लो बे-ग़म जाम-ए-मय और ज़रा तेज़ मिला लो पहले अर्श-ए-तक़्दीस को जाते हुए ऐ आदम-ए-नौ कहकशाँ गर्द है रस्ते से हटा लो पहले तुम ने सुन रक्खा है आज़ादी-ए-'जावेद' का नाम मर्ग की आँख से आँखें तो मिला लो पहले