मशहूर हो गया वो मिरा पैरहन लिए मैं फिर रहा हूँ शहर में नंगा बदन लिए मैं तो कभी का मर चुका और लोग रो चुके ये कौन फिर से आ गया मेरा कफ़न लिए ज़र्रों में जब से जिस्म मिरा मुनक़सिम हुआ सर पर खड़ा है हाथ में सूरज किरन लिए मैं ने तो अपने हाथ से खोदी है अपनी क़ब्र आया है ले के कैसी तलब गोरकन लिए फिर रास्ते की धूल में सारा बदन अटा फिर चल पड़ा है 'फ़ख़्र' इरादे कठन लिए