मस्जिद-ओ-मंदिर का यूँ झगड़ा मिटाना चाहिए इस ज़मीं पर प्यार का इक घर बनाना चाहिए मज़हबों में क्या लिखा है ये बताना चाहिए उस को गीता और उसे क़ुरआँ पढ़ाना चाहिए वो दीवाली हो के बैसाखी हो क्रिसमस हो के ईद मुल्क की हर क़ौम को मिल कर मनाना चाहिए दोस्तो इस से बड़ी कोई इबादत ही नहीं आदमी को आदमी के काम आना चाहिए कौन से मज़हब में लिक्खा है कि नफ़रत धर्म है मिल के इस दुनिया से नफ़रत को मिटाना चाहिए चाहते है जो कई टुकड़ों में इस को बाँटना ऐसे ग़द्दारों से भारत को बचाना चाहिए