मस्त हूँ मुत्तक़ी नहीं हूँ मैं काम का आदमी नहीं हूँ मैं मुझ को दुनिया की फ़िक्र लाहक़ है या'नी कोई वली नहीं हूँ मैं तेरे मेआ'र का तो दूर की बात तेरे मतलब का भी नहीं हूँ मैं मज़हब-ए-इश्क़ का पयम्बर हूँ हाँ मगर आख़िरी नहीं हूँ मैं डर नहीं पास आ मिरे प्यारे नूर हूँ रौशनी नहीं हूँ मैं मुक़्तदा हूँ मैं रोज़-ए-अव्वल से काफ़िरा! मुक़तदी नहीं हूँ मैं आम से कूज़ा-गर का बेटा हूँ गाँव का चौधरी नहीं हूँ मैं मुझ पे थोड़ा सा ग़ौर कर 'तहसीन' हूँ तो फिर आरज़ी नहीं हूँ मैं