मत ख़ुदा ढूँड सवालात के आईने में

मत ख़ुदा ढूँड सवालात के आईने में
इस को पहचान इनायात के आईने में

माइल-ए-हक़ भी है आसी भी अना वाला भी
वो जो रहता है मिरी ज़ात के आईने में

कुछ रक़म है मिरी क़िस्मत भी तिरे हाथों में
सब नहीं मिलता मिरे हात के आईने में

जंग जारी है मेरी नफ़्स-ए-अमारा से हनूज़
जब से देखा तुझे बरसात के आईने में

क़ल्ब जब तक न मुनव्वर हो यक़ीन-ए-कुल से
वसवसे पाले है शुबहात के आईने में

रिश्ते बे-लौस फ़ज़ा में जो जनम लेते हैं
वो नहीं टूटते हालात के आईने में

क़ुर्ब-ए-शब्बीर है क्या रे की हुकूमत क्या है
हुर ने सब देख लिया रात के आईने में

ग़ैर भी सूँघ लिया करते हैं अक्सर 'शारिब'
इक मोहब्बत तिरी हर बात के आईने में


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