मत समझना कि सिर्फ़ तू है यहाँ एक से एक ख़ूब-रू है यहाँ पुर है बाज़ार-ए-हुसन चेहरों से जाने किस किस की आबरू है यहाँ कैसे आबाद हो ये वीराना वहशत-ए-किज़्ब चार-सू है यहाँ आँख की पुतलियों को ग़ौर से देख तेरी तस्वीर हू-ब-हू है यहाँ कैसे तारीख़ लिक्खी जाएगी सिर्फ़ तलवार और गुलू है यहाँ तू कहाँ है ख़बर नहीं ऐ दोस्त रात दिन तेरी गुफ़्तुगू है यहाँ झाँकता कौन है गिरेबाँ में आईना किस के रू-ब-रू है यहाँ मक़्तल-ए-आरज़ू है दिल 'वाजिद' हर तमन्ना लहू लहू है यहाँ