मतीन चेहरा निगह दर्द-आश्ना न लगे ख़ुदा करे कि तुझे मेरी बद-दुआ' न लगे किसी जराहत-ए-ताज़ा का मुंतज़िर है दिल चले ख़दंग-ए-जफ़ा दोस्तो निशाना लगे वो शाह हो के भी शाही वक़ार से महरूम मैं वो गदा जो गदा हो के भी गदा न लगे जो इर्तिक़ा के मनाज़िल हैं जानता हूँ मैं मुझे तो संग भी इंसान से जुदा न लगे बता सको तो बताओ कि हाल क्या होगा गदा के हाथ कभी गर कोई ख़ज़ाना लगे 'वली' को आप 'वली' कहते हैं 'वली' होगा मगर मुझे तो वो कुछ ऐसा पारसा न लगे