मौजों की साज़िशों ने किनारा नहीं दिया तिनके ने डूबते को सहारा नहीं दिया उस ने भी मेरा हाल न पूछा किसी भी वक़्त मैं ने भी उस को कोई इशारा नहीं दिया उस रात को सियाह बताने में क्या गुरेज़ पलकों पे जिस ने कोई सितारा नहीं दिया तारीख़ लिख रही थी नए सर की दास्तान लेकिन सिनाँ ने नाम हमारा नहीं दिया मुद्दत से ऐसे ख़्वाब में उलझे हुए हैं लोग जिस ने हक़ीक़तों में नज़ारा नहीं दिया