मौजूद जो नहीं वही देखा बना हुआ आँखों में इक सराब है दरिया बना हुआ इक और शख़्स भी है मिरे नाम का यहाँ इक और शख़्स है मिरे जैसा बना हुआ समझा रहे हो मुझ को मिरा इर्तिक़ा मगर देखा नहीं है आदमी पहला बना हुआ ऐ इंहिमाक-ए-चश्म ज़रा ये मुझे बता चारों तरफ़ ज़मीन पे है क्या बना हुआ करने लगा है तंज़ मिरे निस्फ़ अक्स पर मुझ में जो एक शख़्स है पूरा बना हुआ पहले किसी की आँख ने पागल किया मुझे अब हूँ किसी नज़र का तमाशा बना हुआ खुलती नहीं हैं तुझ पे ही उर्यानियाँ तिरी 'आसिम' तिरा लिबास है अच्छा बना हुआ