मौसम-ए-गुल कुंज-ए-गुलशन निकहत-ए-गेसू न हो अब यही ख़्वाहिश है तस्कीं का कोई पहलू न हो मैं कि तेरी रूह का इज़हार हूँ मुमकिन नहीं तेरी बातों में मिरे अफ़्कार की ख़ुशबू न हो ऐ सना-ख़्वान-ए-तजल्ली ये भी सोचा है कभी ये सरासीमा तजल्ली रात का जादू न हो इम्तिहान-ए-तिश्नगी की मंज़िल-ए-आख़िर है ये ऐ दिल-ए-ना-आक़ेबत-अंदेश बे-क़ाबू न हो मैं फ़रोग़-ए-बज़्म-ए-इम्काँ मैं अमीर-ए-कारवाँ मैं ग़रीब-ए-शहर-ए-ना-पुर्सां जो मेरा तू न हो हम ने देखे ज़िंदगी में ऐसे भी लम्हात जब ज़ब्त का याराना हो और आँख में आँसू न हो 'रश्क'-साहब मैं असीर-ए-जुर्म-ए-ना-मा'लूम हूँ कैसे मुमकिन है मुझे नाकामियों की ख़ू न हो