मौत है और मौत के ख़दशात हैं सनसनी है अन-दिखे ख़दशात हैं ख़ौफ़ फैला है वबा के रूप में क़र्या क़र्या पल रहे ख़दशात हैं गर कोई तिरयाक़ है वो है यक़ीं ज़हर की सूरत लिए ख़दशात हैं इस सदी के आदमी तो हैं ख़ुदा तू ने ही पैदा किए ख़दशात हैं दायरा दर दायरा तश्कीक है बे-तरह फैले हुए ख़दशात हैं तुझ में हिम्मत है तो इन को मात दे ऐ नए इंसाँ नए ख़दशात हैं वो गली के मोड़ पर है मुंतज़िर डर रहा हूँ मैं मिरे ख़दशात हैं