माया-जाल न तोड़ा जाए By Ghazal << न भूला जाएगा तुम से गम-ए-... अब कहाँ लुत्फ़-ए-बहाराँ क... >> माया-जाल न तोड़ा जाए लोभी मन मुझ को तरसाए मिल जाए तो रोग है दुनिया मिल न सके तो मन ललचाए मेरे आँसू उन का दामन रेत पे झरना सूखा जाए शीशे के महलों में हर दम काँच की चूड़ी खंकी जाए प्यार मोहब्बत रिश्ते नाते 'सानी' कोई काम न आए Share on: