मय-कदे के सिवा मिली है कहाँ और दुनिया में रौशनी है कहाँ आरज़ूओं का इक हुजूम सही फ़ुर्सत-ए-शौक़ खो गई है कहाँ जितने वारफ़्ता-ए-सफ़र हैं हम उतनी राहों में दिलकशी है कहाँ साथ आए कोई कि रह जाए ज़िंदगी मुड़ के देखती है कहाँ ख़ुश-अदा सब हैं आश्ना 'जावेद' अपनी आवारगी छुपी है कहाँ