मय-कदे में गए तो क्या होगा दर्द दिल का मिरे सिवा होगा जो हुआ है वही सदा होगा बा-वफ़ा है जो बेवफ़ा होगा तुम कहो वक़्त है तुम्हारे साथ हम कहेंगे तो ये गिला होगा चंद तिनके अभी हैं दामन में फ़स्ल-ए-गुल आ गई तो क्या होगा हम करेंगे ज़रूर ज़िक्र-ए-वफ़ा जानते हैं कि वो ख़फ़ा होगा साज़-ए-हस्ती को सोच कर छेड़ो एक दिन ये भी बे-सदा होगा काम करता है रात दिन 'अहमद' होगा क़िस्मत में जो लिखा होगा