'असर' कीजिए क्या किधर जाइए मगर आप ही से गुज़र जाइए कभू दोस्ती है कभू दुश्मनी तिरी कौन सी बात पर जाइए मिरा दिल मिरे हाथ से लीजिए और सितम है मुझी से मुकर जाइए कै रोज़ की ज़िंदगानी है याँ बने जिस तरह ज़ीस्त कर जाइए 'असर' इन सुलूकों पे क्या लुत्फ़ है फिर उस बे-मुरव्वत के घर जाइए