मेहमाँ को घर में आए ज़माना गुज़र गया दिल का दिया बुझाए ज़माना गुज़र गया आँखों में अश्क आए हैं सुन कर हँसी का नाम लेकिन हँसी को आए ज़माना गुज़र गया ऐ ज़िंदगी उतार भी इस बार दोश को मय्यत मिरी उठाए ज़माना गुज़र गया क्या जाने क्या छुपाए था दामन की ओट में मुझ से नज़र बचाए ज़माना गुज़र गया कहता रहा हूँ दिल से कि आएगी फिर बहार इस आरज़ू में हाए ज़माना गुज़र गया अब भी फ़रेब देती है आँखों की रौशनी सूरत तिरी भुलाए ज़माना गुज़र गया 'सीमाब' मैं हूँ और मुसलसल ग़म-ए-हयात ख़ुशियों को मुँह दिखाए ज़माना गुज़र गया