मेरा हौसला देख क्या चाहता हूँ मैं क़तरा से दरिया हुआ चाहता हूँ ग़रीबों के दुख की दवा चाहता हूँ और उन के दिलों की दुआ चाहता हूँ मैं अब ज़ीस्त में कुछ नया चाहता हूँ कि कमरे में ताज़ा हुआ चाहता हूँ मैं अश्कों से अपने गुनाहों को धो कर तिरे दर पे हाज़िर हुआ चाहता हूँ मेरे हाल पर रहम कर ऐ मसीहा हूँ बीमार-ए-उलफ़त शिफ़ा चाहता हूँ तअ'स्सुब से हो पाक हर शख़्स 'अरमान' मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ