मेरा ही अक्स आईने में दिखा नहीं था अब कुछ भी या'नी पहले जैसा रहा नहीं था छूटे भी हाथ तो इक छोटे से मसअले पर जब मैं ने कुछ कहा तो उस ने सुना नहीं था वक़्त-ए-जुदाई था बस ये इत्मीनान मुझ को अच्छा हुआ जो कोई वा'दा क्या नहीं था कैसे उठाए हाथ अब अपने दुआ में 'तानी' सज्दा क़ुबूल पहले का जब हुआ नहीं था