मेरा सर आप के क़दमों पे झुका आज के दिन अपनी क़िस्मत पे मुझे नाज़ हुआ आज के दिन झूम कर काली घटा छा गई हर चार तरफ़ किस ने ज़ुल्फ़ों को परेशान किया आज के दिन सारा आलम है मिरे दीदा-ए-हैराँ की मिसाल जल्वा-गर कौन सर-ए-बज़्म हुआ आज के दिन निगह-ए-शौक़ तिरे रुख़ से हटाई न गई दिल में एक दर्द नया और उठा आज के दिन हो के ख़ुद सामने आ'माल की पुरशिश क्या ख़ूब अपनी हस्ती का किसे होश रहा आज के दिन हो दिल-ओ-जान 'शमीम' आप पे क़ुर्बां सौ बार एक निगाह-ए-करम-ओ-लुत्फ़-ओ-अता आज के दिन