मेरा ये जिस्म तो बे-शक यहाँ है मगर दिल तो वहीं है तू जहाँ है जो राह-ए-ज़ीस्त में हर-सू धुआँ है उमीदों का ग़ुबार-ए-कारवाँ है उमीदें बाँध बढ़ आगे अकेले कि रह जाता यहीं हर कारवाँ है मिरी मानो तो सीधी राह चलना इधर खाई उधर अंधा कुआँ है तिरे सब कष्ट हर आनंद देगा वो लेता पहले सब का इम्तिहाँ है ये आँखों की अजब दरिया-दिली है ख़ुशी हो या कि ग़म आँसू रवाँ है हँसी में मत उड़ा मेरी कहानी तिरे जज़्बात हैं मेरी ज़बाँ है 'नया' क्यूँ तेज़ है धड़कन मिरे दिल वो शायद आज मुझ पे मेहरबाँ है