मेरे अंदर सिर्फ़ मैं था दूसरा कोई न था शोर इतना तेज़ था पर बोलता कोई न था आँख रोई हैं बहुत दुनिया की हालत देख कर यूँ तो लोगों से हमारा वास्ता कोई न था ऐसी दुनिया में मुझे इक उम्र तक रहना पड़ा आँख थी सब की वहाँ पर देखता कोई न था पुस्तकों में उम्र गुज़री बाल भी चाँदी हुए मेरे ख़ातिर दिल का दरवाज़ा खुला कोई न था एक अर्से बाद जब आना हुआ घर की तरफ़ सिर्फ़ तन्हाई थी 'सत्या' और बचा कोई न था