मेरे अरमानों को पामाल-ए-ज़ियाँ रहने भी दे शौक़-ए-मंज़िल को शरीक-ए-कारवाँ रहने भी दे वा'दा-ओ-पैमान-ए-उल्फ़त को न दे लफ़्ज़ों का रंग दर्द से लबरेज़ नालों को जवाँ रहने भी दे देख मुझ को हसरत-आलूदा निगाहों से न देख ये फ़ुसूँ ये शोख़ अंदाज़-ए-बयाँ रहने भी दे हाइल-ए-उल्फ़त अगर है ज़िंदगी की कश्मकश ज़िंदगी की कश्मकश को दरमियाँ रहने भी दे मैं जहाँ हूँ जिस तरह हूँ ख़ूब हूँ दिल-शाद हूँ हासिल-ए-उल्फ़त हैं ये बर्बादियाँ रहने भी दे वो गुज़िश्ता ऐश-ओ-इशरत वो नशात-ए-ज़िंदगी ख़्वाब था इस ख़्वाब की रंगीनियाँ रहने भी दे दोस्त मजबूर-ए-वफ़ा हो कर न खा दिल का फ़रेब ज़िंदगी पर कामरानी का गुमाँ रहने भी दे नक़्श-ए-ग़म को क्यों मिटाती है दिल-ए-ग़मगीन से ये मिरी ख़ूनीं बहारें बे-ख़िज़ाँ रहने भी दे