मेरे दिल में उतर गया सूरज By गर्मी, Ghazal << कोई कैसा ही साबित हो तबीअ... कहीं वो मेरी मोहब्बत में ... >> मेरे दिल में उतर गया सूरज तीरगी में निखर गया सूरज दर्स दे कर हमें उजाले का ख़ुद अँधेरे के घर गया सूरज हम से वा'दा था इक सवेरे का हाए कैसा मक्र गया सूरज चाँदनी अक्स चाँद आईना आईने में सँवर गया सूरज डूबते वक़्त ज़र्द था उतना लोग समझे कि मर गया सूरज Share on: