मेरे गले पे जमे हाथ मेरे अपने हैं जो लड़ रहे हैं मिरे साथ मेरे अपने हैं शिकस्त खा के भी मैं फ़त्ह के जुलूस में हूँ कि दे गए जो मुझे मात मेरे अपने हैं मेरी तरह से ये कच्चे घरों में रहते हैं जो घेर लाए हैं बरसात मेरे अपने हैं अगर नहीं हैं ये शम्स-ओ-क़मर मिरे बस में यही बहुत है ये दिन-रात मेरे अपने हैं कोई सुने न सुने कोई दाद दे कि न दे यही बहुत है ख़यालात मेरे अपने हैं किसी के दिल में बसा हूँ किसी की आँखों में ये टूटे-फूटे कमालात मेरे अपने हैं