मेरे ही दिल के सताने को ग़म आया सीधा रास्ता देख लिया है मिरे घर का सीधा एक सूरत कभी तालेअ' की न देखी हम ने ख़त-ए-तक़्दीर लिखा है अजब उल्टा-सीधा सीधी सीधी हमें हर-वक़्त सुना बैठते हो नाम सुन पाया है साहब ने हमारा सीधा टेढ़ी बाँके हुए उस शोख़ के आगे सीधे क्या ही कज-फ़हम है वो जो उसे समझा सीधा इश्क़-ए-पेचाँ को किया हम ने जो आड़ा-तिरछा सर्व को यार ने गुलशन में बनाया सीधा ख़त के आने पे भी टेढ़ा ही रहा वो हम से ख़िज़्र ने भी हमें रस्ता न बताया सीधा 'मेहर' वल्लाह मैं क़ातिल हूँ तिरी बातों का ख़ूब अंदाज़-ए-सुख़न है तिरा सीधा सीधा