मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो By Ghazal << कहाँ से गई बात मेरी कहाँ ... ज़ात के बाद मुकाफ़ात में ... >> मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो आसमाँ लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो अब कहाँ ढूँढने जाओगे हमारे क़ातिल आप तो क़त्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो मैं ने जिस ताक पे कुछ टूटे दिये रक्खे हैं चाँद तारों को भी ले जा के वहीं पर रख दो Share on: