मेरे कमरे में इक ऐसी खिड़की है जो इन आँखों के खुलने पर खुलती है ऐसे तेवर दुश्मन ही के होते हैं पता करो ये लड़की किस की बेटी है रात को इस जंगल में रुकना ठीक नहीं इस से आगे तुम लोगों की मर्ज़ी है मैं इस शहर का चाँद हूँ और ये जानता हूँ कौन सी लड़की किस खिड़की में बैठी है जब तू शाम को घर जाए तो पढ़ लेना तेरे बिस्तर पर इक चिट्ठी छोड़ी है उस की ख़ातिर घर से बाहर ठहरा हूँ वर्ना इल्म है चाबी गेट पे रक्खी है