मेरे महबूब मिरे दिल को जलाया न करो साज़ छेड़ा न करो गीत सुनाया न करो जाओ आबाद करो अपनी तमन्नाओं को मुझ को महफ़िल का तमाशाई बनाया न करो मेरी राहों में जो काँटे हैं तो क्यूँ फूल मिलें मेरे दामन को उलझने दो छुड़ाया न करो तुम ने अच्छा ही किया साथ हमारा न दिया बुझ चुके हैं जो दिए उन को जलाया न करो मेरे जैसा कोई पागल न कहीं मिल जाए तुम किसी मोड़ पे तन्हा कभी जाया न करो ये तो दुनिया है सभी क़िस्म के हैं लोग यहाँ हर किसी के लिए तुम आँख बिछाया न करो ज़हर-ए-ग़म पी के भी कुछ लोग जिया करते हैं उन को छेड़ा न करो उन को सताया न करो