मेरे सीने में कुछ ज़ेर-ओ-ज़बर है चमन में ग़ालिबन वक़्त-ए-सहर है चला जाता हूँ अक्सर शहर वालो बयाबाँ में भी मेरा एक घर है जो चेहरे पर नज़र आती है मेरे मेरी रंगत नहीं गर्द-ए-सफ़र है कोई टिकता नहीं दिल में ज़ियादा ये गोया घर नहीं है रहगुज़र है नज़र आते हैं बस आ'माल सब को मेरे अहवाल पर किस की नज़र है अगर 'अनवर-शुऊ'र' ऐसा करे तो नज़र-अंदाज़ कर देना बशर है