मेरी अर्ज़ानी से मुझ को वो निकालेगा मगर अपने ऊपर एक दिन क़ुर्बान कर देगा मुझे मुंजमिद कर देगा मुझ में आ के वो सारा लहू देखते ही देखते बे-जान कर देगा मुझे कितना मुश्किल हो गया हूँ हिज्र में उस के सो वो मेरे पास आएगा और आसान कर देगा मुझे रफ़्ता रफ़्ता सारी तस्वीरें दमकती जाएँगी अपने कमरे का वो आतिश-दान कर देगा मुझे ख़्वाब में क्या कुछ दिखा लाएगा वो आईना-रू नींद खुलते ही मगर हैरान कर देगा मुझे एक क़तरे की तरह हूँ उस की आँखों में अभी अब न टपकूँगा तो वो तूफ़ान कर देगा मुझे