मेरी धड़कन हो ज़िंदगी हो तुम किस लिए मुझ से अजनबी हो तुम वक़्त की बे-शुमार घड़ियाँ हैं और मिरे दिल में हर घड़ी हो तुम जिस को देखा है ख़्वाब में अक्सर मुझ को लगता है बस वही हो तुम तुम ब-ज़ाहिर तो दूर रहती हो ऐसा लगता है पास भी हो तुम किस लिए मुझ से रूठ जाती हो मेरे आँगन की चाँदनी हो तुम वक़्त बदला तो तुम भी बदले हो पर मिरे दिल में आज भी हो तुम मुझ को तड़पाओ या कि प्यार करो हाल दिल का तो जानती हो तुम पहले मुझ को गँवा दिया तुम ने अब ख़यालों में ढूँढती हो तुम अब अकेला नहीं 'ख़लील' के साथ याद तेरी कभी कभी हो तुम