मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है ऐ जुनूँ मेरे सिवा ये मेरे घर में कौन है ठीक है ऐ ज़ब्त-ए-ग़म! आँसू कोई टपका नहीं पर ये दिल से आँख तक पैहम सफ़र में कौन है वो तो कब का अपनी मंज़िल पर पहुँच कर सो चुका चाँद क्या जाने कि राह-ए-पुर-ख़तर में कौन है मैं तो उस सूरत का दीवाना हूँ पर ऐ ज़िंदगी! सूरत-ए-यक-उम्र हाइल संग ओ सर में कौन है ख़ाक छनवाती है ये रातों को किस की जुस्तुजू चाँदनी की तरह फैला दश्त ओ दर में कौन है एक चेहरा मुस्तक़िल अश्कों के आईने में है कुछ बता ऐ उम्र-ए-ग़म आख़िर नज़र में कौन है पाँव में लिपटी हुई है सब के ज़ंजीर-ए-अना सब मुसाफ़िर हैं यहाँ लेकिन सफ़र में कौन है नग़्मा-ए-जाँ सुनने वालो ये तकल्लुफ़ ता-ब-कै ढा के ये दीवार भी देखो कि घर में कौन है