मेरी तबाहियों पे कोई मुस्कुरा दिया गोया किसी ने कुछ तो मुझे आसरा दिया सारे जहाँ पे मुझ को नहीं दस्तरस मगर सारे जहाँ को किस ने मिरा दिल बना दिया ऐ जान-ए-जाँ कि याद तिरी आ के रह गई जैसे किसी ने नग़्मा कहीं गुनगुना दिया लहरों की लय पे गीत तिरा गाँव आ भी जा आँखों ने तेरी याद में दरिया बहा दिया पहली सी वो हिकायत-ए-शाम-ओ-सहर नहीं शायद किसी ने 'दौर' तुझे कुछ भुला दिया