मिलो तो ऐसे अंधेरों को भी पता न लगे चलो तो ऐसे के जिस्मों में फ़ासला न लगे मैं आज गाँव में छोड़े तो जा रहा हूँ तुम्हें दुआ करो कि मुझे शहर की हवा न लगे ख़ुदा वो वक़्त न लाए हमारे बच्चों पर कि जिस घड़ी उन्हें माओं की भी दुआ न लगे मैं उस का ज़िक्र किसी और से नहीं करता कहीं ये मेरा रवय्या उसे बुरा न लगे ये तय किया है कि ऐसा फ़साना लिक्खूंगा वो बेवफ़ा किसी जुमले से बेवफ़ा न लगे बिठा गया था कोई ऐसे पेड़ के नीचे कि जिस का एक भी पत्ता मुझे हरा न लगे अता किए हैं यूँ ही उस ने रत-जगे 'इशरत' ये ज़िंदगी मुझे ख़्वाबों का सिलसिला न लगे