मिरा दर्द-ए-निहाँ है और मैं हूँ निशात-ए-जावेदाँ है और मैं हूँ मोहब्बत जो कभी आराम-जाँ थी वही अब नीश-ए-जाँ है और मैं हूँ ये जल्वों की फ़रावानी का आलम निगाह-ए-बे-ज़बाँ है और मैं हूँ मिरा अफ़्साना अब मेरा नहीं है हदीस-ए-दीगराँ है और मैं हूँ हूँ महव-ए-हुस्न-ए-पोशीदा पस-ए-गुल बहार-ए-बे-ख़िज़ाँ है और मैं हूँ ख़िरद मेरे जुनूँ पर हँस रही है तलाश-ए-बे-निशाँ है और मैं हूँ