वक़्त की वुसअ'त में रौशन हर निशाँ सूरज का है हर ज़मीं सूरज की है हर आसमाँ सूरज का है उस के हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ में पोशीदा है राज़-ए-हयात ता-क़यामत रहने वाला अरमुग़ान सूरज का है ज़िंदगी की हर कहानी है उजालों से जुड़ी कहकशाँ आतिश-फ़िशाँ और शाएगाँ सूरज का है इन सुलगते पर्बतों में देखिए उस के नुक़ूश हैं शरारे भी उसी के और धुआँ सूरज का है हैं उसी के रंग बिखरे आसमाँ-दर-आसमाँ और ज़मीं की गोद में गंज-ए-रवाँ सूरज का है वो मिटा दे या करा दे पार सहरा के 'मिराक़' मैं तो हूँ महव-ए-सफ़र अब इम्तिहाँ सूरज का है