मिरे बेश-ओ-कम के पीछे तिरा हाथ है ज़ियादा मिरा दिन बनाने वाले मिरी रात है ज़ियादा यहाँ एक हद से आगे किसी ज़ोम में न रहना तुझे छोड़ जाने वाला तिरे साथ है ज़ियादा जो सिरहाने रक्खे रक्खे शब-ए-ग़म में सो गया है मिरा काम करने वाला वही हाथ है ज़ियादा वो जो अस्ल वाक़िआ है उसे खोल कर बयाँ कर तू जो कह रहा है उस से ज़रा बात है ज़ियादा मिरी आस के उफ़ुक़ से मुझे लग रही है छोटी किसी दूसरी तरफ़ से यही रात है ज़ियादा हुई मुझ से इक ख़यानत कहीं कुछ समेटने में मिरे आगे इक जगह पर मिरी ज़ात है ज़ियादा है शिकस्त ओ फ़तह 'शाहीं' यहाँ ज़िंदगी का हिस्सा मुझे दुख बहुत है जिस का कोई मात है ज़ियादा