मिरी तरह कोई ना-कामयाब हो न सका किसी निगाह में भी इंतिख़ाब हो न सका ख़याल-ओ-ख़्वाब में भी कामयाब हो न सका मिरा ख़याल कभी उन का ख़्वाब हो न सका चमन हज़ार ब-रा'नाई-ए-बहार रहा तुम्हारा हुस्न तुम्हारा शबाब हो न सका मिरी निगाह के अंदाज़-ए-शौक़ जब देखे हिजाब कर न सके वो हिजाब हो न सका जहान-ए-इश्क़ में वो हम-मिज़ाज-ए-फ़ितरत हूँ मिरे ख़िलाफ़ कोई इंक़लाब हो न सका कहाँ वो अहद-ए-शबाब और तलातुम-ए-जज़्बात सुकूँ-पज़ीर कभी इज़्तिराब हो न सका निगाह-ए-शौक़ से जब तक न छेड़-छाड़ हुई तिरा शबाब मुकम्मल शबाब हो न सका निगाह-ए-शोख़ की बेबाकियाँ कोई देखे कि जैसे कोई कभी कामयाब हो न सका हरीम-ए-नाज़ की अल्लाह रे रिफ़अतें 'बिस्मिल' ख़याल में भी कोई बारयाब हो न सका