ये भी न पूछा तुम ने 'अंजुम' जीता है या मरता है वाह-जी-वा आशिक़ से कोई ऐसी ग़फ़लत करता है नई जवानी नए-नवीले नादान अल्लढ़ और अलबेले सच पूछो तो तुम को साहिब दिल देते जी डरता है पूछते क्या हो हाल हमारा जीने का है कौन सहारा रो लेते हैं जी भर भर कर जब ग़म से जी भरता है उन से नहीं कुछ शिकवा हम को उन से नहीं कुछ रंज-ओ-मलाल किस से ऐ दिल इश्क़ किया किस से चाह को बरता है रोते रोते हिज्र में क्यूँ-कर जीने से दिल सेर न हो कहते हैं तालाब भी साहिब फेवन फेवन भरता है मुझ को तो दिल देने में कुछ उज़्र नहीं ऐ जान-ए-जहाँ सच तो ये है दिल ही ख़ुद कुछ आगा पीछा करता है सैल-ए-सरिश्क-ए-ग़म से 'अंजुम' ख़ाना-ए-दिल बर्बाद न हो देखो देखो काबा की बुनियाद में पानी मरता है