ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब' By Ghazal << तरह ओले की जो ख़िल्क़त मे... मानिंद-ए-शम्मा-मजलिस शब अ... >> ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब' हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे Share on: