मिटते हुए हुरूफ़ को पढ़ने की ख़ू किया करें सतरें कुरेदते हुए पोरें लहू किया करें नौ-वारिदान-ए-इश्क़ से कह दीजिए कि दश्त में वहशत से क़ब्ल रेत से जा कर वुज़ू किया करें इंजील-ए-दिल में दर्ज हों आयात-ए-नुक़रई तो फिर हम भी सुख़न के बाब में कुछ हाव-हू किया करें मय-खाना-ए-अज़ल को वो दो नैन फिर से ला के दो जो एहतिमाम-ए-ख़्वाहिश-ए-जाम-ओ-सुबू किया करें