मिट्टी से कुछ ख़्वाब उगाने आया हूँ मैं धरती का गीत सुनाने आया हूँ तू ने दरियाओं में दिए बहाए हैं मैं भी अपने होंट जलाने आया हूँ तुझ से मेरा रिश्ता बहुत पुराना है मैं दुनिया में तेरे बहाने आया हूँ अब के बार मैं तुझ से मिलने नहीं आया तुझ को अपने साथ ले जाने आया हूँ चार दिए तेरी दहलीज़ पे रौशन हैं एक दिया मैं और जलाने आया हूँ तू ने तेग़ से लहू की बूँद गिराई थी मैं धरती से फूल उठाने आया हूँ