मोहब्बत और मोहब्बत का शजर बाक़ी रहेगा चले जाएँगे हम लेकिन सफ़र बाक़ी रहेगा किसी दस्तक की कानों में सदा आती रहेगी कोई नक़्श-ए-क़दम दहलीज़ पर बाक़ी रहेगा अभी से क्यों बुझा दें अपने दिल की सारी शमएँ सहर होने तक इमकान-ए-सहर बाक़ी रहेगा बढ़ा आता है सैल-ए-बे-यक़ीनी हर तरफ़ से तो इस सैलाब में क्या मेरा घर बाक़ी रहेगा गिरेगा एक दिन सर पर ये नीला आसमाँ भी दुआओं में भला कब तक असर बाक़ी रहेगा जो तुम चाहो तो इस बर्तन को चकना-चूर कर दो मगर फिर भी निशान-ए-कूज़ा-गर बाक़ी रहेगा अभी ये फ़ैसला महफ़ूज़ है लौह-ए-उफ़ुक़ पर कटेगी किस की गर्दन किस का सर बाक़ी रहेगा जिसे बे-मस्लहत बे-ख़ौफ़ हो कर मैं ने लिक्खा वही बस एक हर्फ़-ए-मो'तबर बाक़ी रहेगा मिला है टूट कर जो मुद्दतों के बाद 'अश्फ़ाक़' उसी से फिर बिछड़ जाने का डर बाक़ी रहेगा